
भारत-चीन संबंध : भारत–चीन के कूटनीतिक संबंधों में प्रगति
हाल ही में आई खबर आ रही है कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के साथ सीधी उड़ानों की बहाली पर जोर दिया है। यह कदम दोनों एशियाई पड़ोसी देशों के बीच चार साल के सीमा विवाद के बाद संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। वांग ने ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित एक बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ चर्चा की।
मुख्य मुद्दे जिन पर सहमति बनी : भारत-चीन संबंध
- सीधी उड़ानों की बहाली:
वांग यी ने भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने के लिए “ठोस प्रगति” की आवश्यकता पर बल दिया। - वीजा प्रक्रियाओं में सुधार:
वीजा प्रक्रियाओं को तेज और सुगम बनाने के लिए भी दोनों देशों ने चर्चा की। - पत्रकारों का आदान–प्रदान:
दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिए पत्रकारों के भेजने और उनके कार्य की अनुमति पर भी सहमति बनी।
सीमा विवाद और उसका प्रभाव
2020 का सीमा विवाद
जून 2020 में हिमालय क्षेत्र में हुई झड़पों ने दोनों देशों के संबंधों को खराब कर दिया। इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक और कई अज्ञात (40-45) चीनी सैनिकों की जान गई।
- परिणामस्वरूप:
- सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ा दी गई।
- सीधी उड़ानें निलंबित हो गईं।
- वीजा प्रक्रियाएं धीमी पड़ गईं।
तनाव कम करने की पहल
Recently अक्टूबर 2024 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दो वर्षों में पहली बार मुलाकात की।
- महत्वपूर्ण समझौते:
- सीमा विवाद को हल करने का समझौता।
- तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास।
भारत–चीन: सहयोग के अवसर
वांग यी का बयान
चीन के विदेश मंत्री ने कहा, “भारत और चीन के बीच मतभेदों की तुलना में उनकी साझा रुचियां कहीं अधिक हैं। दोनों देशों को एक–दूसरे के विकास को अवसर के रूप में देखना चाहिए।”
विकासशील देशों के रूप में भूमिका
आपको बता दे की दोनों देश दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं।
- वैश्विक मंच पर उनकी साझेदारी न केवल एशिया के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
- व्यापार, प्रौद्योगिकी, और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग के अवसर मौजूद हैं।
सीधी उड़ानों की बहाली का महत्व
सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करना दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान–प्रदान को बढ़ावा देगा।
- व्यापार:
चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। सीधी उड़ानों से व्यापारिक यात्राएं सुगम होंगी। - शिक्षा:
बड़ी संख्या में भारतीय छात्र चीन में पढ़ाई करते हैं। उड़ानों की बहाली उनके लिए एक राहत होगी। - पर्यटन:
दोनों देशों के बीच पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
भारत और चीन के लिए आगे की राह
सीमा विवाद समाधान की प्राथमिकता
- स्थायी समाधान के बिना, संबंधों को पूरी तरह सामान्य बनाना चुनौतीपूर्ण रहेगा।
- दोनों देशों को सैन्य तैनाती में कमी और पारदर्शी संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना होगा।
साझा लक्ष्यों पर ध्यान
- वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- बहुपक्षीय मंचों जैसे G20 और BRICS में एकजुट प्रयास करना दोनों देशों के लिए लाभदायक रहेगा।
निष्कर्ष
भारत और चीन के बीच हाल के वर्षों में आई कड़वाहट को दूर करने के लिए यह पहल एक सकारात्मक कदम है। सीधी उड़ानों की बहाली और वीजा प्रक्रियाओं को तेज करना दोनों देशों के नागरिकों और सरकारों के बीच विश्वास बहाली का माध्यम बन सकता है।
हालांकि, सीमा विवाद का स्थायी समाधान और आपसी सहयोग को प्राथमिकता देना इन संबंधों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। भारत और चीन को अपने मतभेदों को दूर करते हुए वैश्विक मंच पर एक–दूसरे के साझेदार बनने की दिशा में काम करना चाहिए।
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