
हाइलाइट्स: Parliament Mansoon Session 2025:
- संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा
- मीडिया रिपोर्ट्स: मोदी सरकार ला सकती है न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ इम्पीचमेंट प्रस्ताव
- संसद में उठ सकते हैं कई संवेदनशील मुद्दे – विपक्ष हमलावर
- यह सत्र 2025 लोकसभा चुनाव से पहले महत्वपूर्ण माना जा रहा है
संसद का मानसून सत्र 2025 – प्रमुख जानकारी
Monsoon Session of Parliament 2025 की तारीखें तय हो गई हैं। यह सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। कुल 23 दिनों तक चलने वाले इस सत्र में करीब 17 कार्यदिवस होंगे। सरकार और विपक्ष दोनों इस सत्र में महत्वपूर्ण विधेयकों और राष्ट्रीय मुद्दों को उठाने की तैयारी में हैं।
मोदी सरकार की बड़ी योजना – न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ इम्पीचमेंट?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मोदी सरकार इस मानसून सत्र में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठा सकती है। खबर है कि सरकार दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) के खिलाफ इम्पीचमेंट मोशन (Impeachment Motion) संसद में ला सकती है।
इम्पीचमेंट मोशन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत एक न्यायाधीश को हटाने की औपचारिक प्रक्रिया है। अगर संसद के दोनों सदनों से दो–तिहाई बहुमत से यह प्रस्ताव पारित होता है, तब ही न्यायाधीश को पद से हटाया जा सकता है।
हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह कदम न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता के सवालों के बीच उठाया जा सकता है।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा कौन हैं?
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के एक वरिष्ठ न्यायाधीश हैं, जो कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों में निर्णय दे चुके हैं। हाल के महीनों में उन्होंने कुछ ऐसे फैसले सुनाए हैं जो सरकार की नीतियों और संस्थानों से जुड़े हुए थे।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कुछ मामलों में उनके रुख को लेकर सरकार असंतुष्ट रही है और इसी वजह से यह इम्पीचमेंट प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकती है।
संसद में उठ सकते हैं कई प्रमुख मुद्दे
मानसून सत्र केवल न्यायिक मुद्दों तक सीमित नहीं रहेगा। विपक्ष भी कई ज्वलंत मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है:
- महंगाई और बेरोजगारी: विपक्ष लगातार इन मुद्दों को लेकर सरकार पर हमला कर रहा है।
- अग्निपथ योजना और ED-CBI के दुरुपयोग जैसे आरोप फिर गूंज सकते हैं।
- लोकसभा चुनाव 2025 की रणनीति भी इस सत्र में साफ हो सकती है।
- महिला आरक्षण विधेयक और नया डेटा संरक्षण कानून भी इस सत्र में पेश किए जा सकते हैं।
क्या है इम्पीचमेंट प्रक्रिया?
इंडिया में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उसे इम्पीचमेंट कहते हैं। इसकी प्रमुख विशेषताएं:
- लोकसभा या राज्यसभा में एक प्रस्ताव लाया जाता है
- प्रस्ताव को कम से कम 100 लोकसभा सदस्य या 50 राज्यसभा सदस्य समर्थन करते हैं
- जांच के बाद न्यायमूर्ति पर दोष सिद्ध होता है
- दोनों सदनों में दो–तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास होने पर राष्ट्रपति न्यायाधीश को पद से हटा सकते हैं
यह प्रक्रिया अब तक केवल एक ही बार – जस्टिस वी. रामास्वामी के मामले में – प्रयोग में लाई गई थी, लेकिन वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका था।
विपक्ष का रुख और संभावित बहस
विपक्ष पहले ही यह सवाल उठा रहा है कि क्या सरकार न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। अगर इम्पीचमेंट प्रस्ताव संसद में लाया जाता है, तो यह बहस और तेज हो सकती है कि क्या न्यायिक स्वतंत्रता को खतरा है।
वहीं, सरकार यह कह सकती है कि वह सिर्फ संविधान के अनुसार चल रही है और यदि कोई न्यायाधीश गंभीर कदाचार में लिप्त पाया जाता है, तो उसे जवाबदेह बनाना जरूरी है।
निष्कर्ष: संसद का यह सत्र हो सकता है ऐतिहासिक
Parliament Monsoon Session 2025 केवल सामान्य विधायी कार्यवाही तक सीमित नहीं रहने वाला है। अगर मोदी सरकार वास्तव में Justice Yashwant Varma के खिलाफ Impeachment Motion लाती है, तो यह भारतीय न्याय व्यवस्था और लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।
विपक्ष बनाम सरकार की यह जंग, संसद में गरम माहौल और भावी चुनावी रणनीति – सभी की झलक इस मानसून सत्र में देखने को मिल सकती है।