
हाल ही में खबर आ रही है America से जिसमें अमेरिका के Newly Elected President Donald Trump की तरफ से खबर ये है कि डोनाल्ड ट्रंप Florida के नवनिर्वाचित सीनेटर मार्को रूबियो को अमेरिका के Secretary Of the State यानी विदेश मंत्री नियुक्त कर सकते हैं।
साथ ही साथ ये भी खबर आ रही है कि डोनाल्ड ट्रंप फ्लोरिडा से अपने अमेरिकी प्रतिनिधि माइकल वाल्ट्ज को अमेरिका का नया NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) नियुक्त कर सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि रुबियो और वाल्ट्ज दोनों China के कट्टर विरोधी हैं और पिछले कई वर्षों से भारत समर्थित विचार रखते आए हैं।
साथ ही साथ ये भी खबर आ रही है कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कामकाज में Trade War के सूत्रधार रहे Robert Lighthizer को भी अमेरिका का नया Americi Trade Envoy नियुक्त किया है।
आपको यहां बता दे कि इसी साल July में रुबियो ने अमेरिका में एक Bill Propose किया था, जिसमें कहा गया था कि Technology Transfer के मामले में भारत को भी ठीक ऐसा ही Treat किया जाना चाहिए जैसे अमेरिका, Japan, Israel, South Korea और NATO के साथ करता है.
रूबियो ने जो ये बिल अमेरिका संसद में पेश किया था उसका उद्देश्य भारत को उसके क्षेत्रीय अखण्डता के लिए खतरों से निपटने में सहायता करना है और यदि Pakistan भारत के खिलाफ Terrorism को बढ़ावा देता है तो पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा सुरक्षा सहायता प्रदान करना बंद करना है।
साथ ही रुबियो ये भी विचार रखता है कि चीन Indo-Pacific क्षेत्र में अपने क्षेत्र का, Navy का आक्रामक तरीके से विस्तार कर रहा है और अमेरिका के क्षेत्रीय साझेदारों की संप्रभुता और स्वयत्तता में बाधा बन रहा है.
इसके अलावा उन्हें अपने बिल में ये भी कहा है कि Communist China के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत–अमेरिका साझेदारी महत्वपूर्ण है। और आप नई दिल्ली के साथ Strategic, Diplomatic, Economic और सैन्य संबंधों को बढ़ाने की भी वकालत करते हैं।
आपको यहां बता दे कि सितंबर 2014 में Prime Minister Narendra Modi की Washington DC यात्रा के दौरान रुबियो ने एक लेखा लिखा था और भारत–अमेरिका संबंधों की उपेक्षा करने के लिए Barak Obama प्रशासन को दोषी ठहराया था।
इससे पता चलता है कि माइक वाल्ट्ज जो अमेरिका के अगले NSA होंगे वो भारत के बड़े पक्ष में हैं, वे भारत कॉकस के प्रमुख भी हैं। और वे भारत के साथ अमेरिकी रक्षा और सुरक्षा Cooperation को बढ़ावा देने और Strong करने की वकालत की है।
साथ ही साथ वे चीन के व्यापार और आर्थिक प्रथा की आलोचना भी करते हैं और लंबे समय से चीन के निर्माण पर अमेरिकी निर्भरता को काम करने और अमेरिकी प्रौद्योगिकी को मजबूत बनाने का आह्वान किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump अपने पहले कार्यकाल में चीन को राजनीतिक खतरा और प्रतिस्पर्धी बताने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने। इन्होनें 2017 में QUAD Group को पुनः सक्रिय किया था। अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप से चीन के प्रति रणनीतिक दृष्टिकोण को जारी रखने की उम्मीद है।
इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अपने व्यापार युद्ध के दौरान रॉबर्ट लाइटहाइजर को फिर से अपने दूसरे कार्यकाल में अमेरिकी व्यापार दूत नियुक्त किया है। इनकी नियुक्ति महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2019 में जब भारत ने अपनी सामान्यीकृत वारियता प्रणाली खो दी थी तब वह यूएसए के व्यापार दूत थे।
इसके अलावा चीन के प्रति इनका रुख काफी अकर्मक है। रॉबर्ट मानते हैं कि अमेरिका ने 2000 के दशक की शुरुआत में चीन को सबसे पसंदीदा राष्ट्र (MFN Most Favoured Nation) का दर्जा देकर गलती की, जिसके कारण अमेरिका के आयात में वृद्धि हुई, जिसके विनिर्माण क्षेत्र में नौकरी खत्म हो गई। तो इसको देखते हुए ये मन जा रहा है कि चीन के लिए अब कठिन समय आने वाला है।